आठ पुलिसवालों की हत्या का मास्टरमाइंड कानपुर वाला विकास दुबे यूपी, हरियाणा और राजस्थान पुलिस को चकमा देकर 8 जुलाई की शाम उज्जैन पहुंचा। शराब कंपनी के मैनेजर आनंद तिवारी ने नागझिरी इलाके में एक नेता के घर के पास वाले मकान में विकास को रुकवाया। रातभर विकास वहीं रहा। तिवारी से विकास के पुराने संपर्क थे।
9 जुलाई...
अगले दिन यानी गुरुवार सुबह उठकर विकास दुबे नहाया, दाढ़ी बनाई और 7 बजे महाकाल मंदिर पहुंच गया। सही नाम-पता बताया और खुद ने ही कह दिया कि मैं कानपुर वाला विकास दुबे हूं, मुझे पकड़ लो। इससे साफ हो गया कि वह महाकाल की शरण में सरेंडर करने पहुंचा था, ताकि यूपी पुलिस के एनकाउंटर से बच जाए। 8.30 बजे पुलिस विकास को पकड़कर ले गई।
गैंगस्टर से दिनभर सवाल-जवाब होते रहे। 8 पुलिसवालों को क्योंमारा? इस सवाल का जवाब दिया कि पुलिस से दुश्मनी नहीं लेनी चाहिए थी। दूसरी तरफ डीएपसी देवेन्द्र मिश्र की हत्या पर बोला कि वे मुझे लंगड़ा कहते थे, इसलिए सोच रखा था कि निपटाना है। इस तरह पूछताछ में दिन गुजर गया।
चर्चा यह थी कि यूपी पुलिस विकास को लेने उज्जैन पुहंचेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उज्जैन पुलिस रात को गुना बॉर्डर तक विकास को छोड़ने गई। रात 12.30 बजे गुना टोल नाका क्रॉस किया और आगे जाकर यूपी पुलिस को विकास हैंडओवर कर दिया।
10 जुलाई...
सुबह खबर आई कि कानपुर पहुंचने से महज 17 किलोमीटर पहले करीब 6.30 बजे पुलिस ने विकास का एनकाउंटर कर दिया। बताया गया कि पुलिस के काफिले की जिस गाड़ी में विकास बैठा था, वह पलट गई। इसका फायदा उठाकर विकास ने पुलिस की पिस्टल छीनकर फायरिंग कर दी और भागने की कोशिश की। पुलिस ने सरेंडर का मौका दिया, लेकिन नहीं माना तो पुलिस ने भी गोलियां चला दीं। विकास को 4 गोलियांलगीं। उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टर्स ने कहा कि मर चुका है।
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